पंडिताई करने वाले लोग उन घरों में पूजा नहीं करते हैं जहां मांसाहार किया जाता है- आचार्य प्रकाश कृष्ण शास्त्री
गणेश दत्त पाण्डेय,वरिष्ट पत्रकार,लोहाघाट।
चंपावत(उत्तराखंड) – जिले के पाटी ब्लाक अंतर्गत ऐसे कई गांव है जहां के लोग शताब्दियों से मांसाहार नहीं करते हैं ऐसे लोगों को (निर्मान्सी) कहा जाता है। मुगल शासन काल में मुगलों के अत्याचार से बचने के लिए बिहार के बैद्यनाथ धाम से 22 लोगों का परिवार यहां भाग कर आ गया। इस धर्मपरायण लोगो की रक्षा के लिए वहां की शिव शक्ति इन्हीं के साथ आ गई । आगे आगे शिव शक्ति चलती गई उनके पीछे चलते लोग देवभूमि के इस स्थान में पहुंचे। उनके साथ उनके कुल पुरोहित भी साथ आ गये।
यात्रा के दौरान शिव शक्ति ने लधोंन धुरा की वनाच्छादित पहाड़ी के शिखर में अपने को अवस्थित कर लिया। भगवान शिव पार्वती द्वारा उनकी रक्षा करने के लिए बैजनाथ ,इजर, नाखुडा गांव के लोग कठोर नियमों के साथ उनकी पूजा करने लगे। तब से यहां के लोग मांसाहार नहीं करते हैं ।तथा यह क्रम पीढ़ी दर पीढ़ी चला आ रहा है।उक्त गांव के लोगों को शर्मा उपजाति से जाना और पहचाना जाने लगा ।गांव के वयोवृद्ध सामाजिक कार्यकर्ता टीकाराम शर्मा का कहना है कि आज जबकि लोग पश्चात संस्कृति के रंग में लिप्त होकर अपनी मर्यादित संस्कृति व संस्कारों को भूल गए हैं लेकिन आज भी यहां के लोग अपने पूर्वजों के संकल्प को पीढ़ी दर पीढ़ी पूरा करते आ रहे हैं। यहां के लोगों की अच्छी हेल्थ व दीर्घायु का राज भी यही है । वाक्स – निर्मान्सी गांव के प्रसिद्ध कथा वाचन एवं पुराणों के मर्मज्ञ आचार्य प्रकाश कृष्ण शास्त्री का कहना है कि शताब्दियों से भगवान शिव की शक्ति को बारी-बारी से तीनो गाँवो में स्थापित किया जाता है आचार्यश्री अनुसार बैजगांव, इजर, नाखुडा,के अलावा वैला ,कैन्युडा , गराल, महरपिनाना के लोग भी ना तो मांसाहार करते हैं। और नहीं बकरी, मुर्गी पालते हैं।
यहां तक की इनके रिश्तेदार भी मांसाहार नहीं करते हैं। यहां के तमाम लोग पूजा पाठ ,कर्मकांडाचार्यहैं। जो उन घरों में पूजा अर्चना के लिए भी नहीं जाते हैं जहां मांसाहार किया जाता है।