लोहाघाट(चंपावत)- गुमदेश का प्रसिद्ध, ऐतिहासिक व धार्मिक चैतोला मेला पारंपरिक उल्लास के साथ शुरू हो गया है।गुरुवार को चमदेवल के चौखाम बाबा मंदिर में हवन यज्ञ के साथ जहां नवरात्रि पर्व का विसर्जन किया इसी के साथ यहां दोपहर बाद विभिन्न गांवों से लोग पारंपरिक पोशाक में जत्थौं के साथ चमदेवल मंदिर की ओर आने लगे।
यहां बता दें कि गुमदेश के शूरवीर लोगों द्वारा शताब्दियों पूर्व चम्मू देवता के सियासन डोले को लाने व ले जाने के लिए जो स्थान व समय निर्धारित किया गया है आज भी उनके वंशज उसका पूरा पालन करते आ रहे हैं। प्रथम दिन चम्मू देवता का सिंहासन डोला जिसे स्थानीय भाषा में लोग जमान कहते हैं, को विभिन्न गांवों से होते हुए मड गांव ले जाया जाता है जहां रात भर भजन कीर्तन होने के साथ दूसरे दिन वहां से चम्मू देवता की शोभायात्रा निकलेगी जिसमें शामिल होने के लिए लोग विदेशों से तक आते हैं। मेले की विशिष्ट परंपराएं रही है।यहां चम्मू देवता को अर्पित किया जाने वाला पापड़ विशेष शुद्धता व पारंपरिक तकनीक से बनाया जाता है।
यही नहीं गुमदेश के वीर पराक्रमी धोनियों के गांव के अलावा लगभग दो दर्जन गांवों के लोग अपने घरों में मेहमानों के आने की प्रतीक्षा करते हैं। इतने बड़े मेले में कोई भोजनालय नहीं खुलता है। मेला कमेटी के अध्यक्ष खुशाल सिंह धोनी, कुल पुरोहित मदन कॉलोनी एवं शंकर पांडे के अनुसार शुक्रवार को मुख्य मेले के दिन यहां लगभग बीस हजार लोगों के शोभा यात्रा के साक्षी होने की उम्मीद की जा रही है।