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चंपावत(उत्तराखंड)- शिक्षक एक दर्पण की भांति होता है, जिसमें नौनिहालों के भविष्य की राहें छुपी होती हैं। शिक्षक अपनी विद्वता से छात्रों को उनकी मंजिल तक पहुंचाते हैं और जब छात्र सफल हो जाते हैं और अपनी मंजिल को प्राप्त कर लेते हैं तो सबसे अधिक खुशी शिक्षक को होती है। शिक्षकों की अपने छात्रों के भविष्य निर्माण में सर्वाधिक महत्वपूर्ण भूमिका होती है।राईका बापरू में कार्यरत शिक्षक प्रकाश चन्द्र उपाध्याय ऐसे ही एक कर्णधार शिक्षक हैं, जो त्याग और समर्पण की भावना को चरितार्थ करने में अपना जीवन समर्पित कर चुके हैं। उन्होंने अपने निजी पारिवारिक कार्य छोड़कर छात्रहित में वर्षभर में मिलने वाले 14 आकस्मिक अवकाशों में से एक भी अवकाश नहीं लिया और रविवार एवं अन्य अवकाश के दिनों में किए गए कार्य के बदले मिलने वाले प्रतिकर अवकाशों को भी छात्रहित में उन्होंने त्याग दिया।
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शिक्षक उपाध्याय ने वर्ष भर में कुल कार्य दिवसों से अधिक दिन कार्य किया है। उनके द्वारा निरंतर ग्रीष्मावकाश एवं अन्य अवकाश के दिनों में भी शिक्षण कार्य किया जाता है ।शिक्षक उपाध्याय का कहना है कि यदि काम को काम न समझकर उसमें पूर्ण रूप से समाहित होकर उसे आनंदपूर्ण तरीके से किया जाए तो अवकाश लेने की आवश्यकता ही नहीं होती। उनके द्वारा बिना थके,बिना रुके किए गए प्रयासों के कारण उनके छात्र सर्वोच्च अंक प्राप्त करने के साथ ही विभिन्न राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में अपना लोहा मनवा रहे हैं।
निरन्तर शिक्षक उपाध्याय द्वारा छात्रहित में किए जा रहे प्रयासों की पीटीए अध्यक्ष चंचल सिंह फर्त्याल, एस एम सी अध्यक्ष आनन्द सिंह बोहरा, ग्राम प्रधान नारायण सिंह फर्त्याल सहित जनप्रतिनिधियों एवम् अभिभावकों ने सराहना की है।
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