संयुक्त परिवारों के विलुप्त होने से संध्या आरती का स्वर अब होने लगा है गायब

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संयुक्त परिवार का असीम सुख भोगकर दूसरों को सुख देती आ रही हैं गीता अग्रवाल।

देवीधुरा(चंपावत) संयुक्त परिवारों में सायं सामूहिक रूप से होने वाली संध्या,आरती व भजनों का जो स्वर निकलता था,वह अब धीरे-धीरे विलुप्त होता जा रहा है। इसका कारण संयुक्त परिवारों की परंपराएं टूटने से व्यक्ति परिस्थितियों का दास बन गया है इसके बावजूद भी जहां संयुक्त परिवार हैं, वहां श्री और लक्ष्मी ही उन्हें बांधे रखती हैं। शास्त्रों के अनुसार परिवार से बड़ा कोई धन नहीं होता है, पिता से बड़ा कोई सलाहकार नहीं,मां की छवि से बड़ी कोई दुनिया नहीं, भाई से बड़ा जीवन में दुख को बांटने वाला कोई सहायक नहीं होता,पत्नी से बड़ा कोई सच्चा मित्र नहीं। इसलिए परिवार के बिना कोई जीवन नहीं होता। कई वर्षों से सिगनेचर ग्लोबल, गुड़गांव की मालकिन गीता अग्रवाल अपने पति के अनंत ज्योति में विलीन होने के बाद गीता के संदेश के अनुसार गरीबों के आंसू पोंछने,गरीब कन्याओं का विवाह करने, जाड़ों में गरीब बच्चों को वस्त्र, जूते, मोजे,कंबल बांटने के साथ मंदिरों में भंडारा करने जैसे तमाम ऐसे कार्य कर अपने पति स्व पदम चन्द्र कनोडिया की यादों को तरोताजा रखते हुए संयुक्त परिवार की परंपराओं व खुशियों को जीवंत रखे हुए हैं।

सिगनेचर ग्लोबल के एमडी एवं गीताजी के पुत्र प्रदीप, ललित,देवेंद्र एवं रवि सभी लोग एक साथ करते हुए, अपने माता-पिता की सीख एवं गीता के उपदेशों का पालन करते हुए दूसरों की खुशी में अपनी खुशी देखते आ रहे हैं। 72 वर्षीय गीता अग्रवाल कहती हैं कि यह सब कुछ राधा कृष्ण एवं वाराही धाम के आदेश पर करती आ रही हैं। बेटों के असीम प्यार एवं बहुओं का बेटी के समान दुलार मिलने से उनके सेवा के हाथ लगातार आगे बढ़ते रहने से उनकी उम्र भी बढ़ती जा रही है।

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गीता कहती हैं कि संयुक्त परिवार लकड़ी का वह गट्ठर है, जिसे कोई तोड़ या झुका नहीं सकता। संयुक्त परिवार संस्कृति एवं संस्कारों का ऐसा स्रोत है,जिससे परिवार में सदा सुख,शांति,सद्विचार व संस्कार स्वयं पैदा होते रहते हैं। गीता अग्रवाल की ओर से आज यहां मां वाराही के श्री चरणों में भंडारा अर्पित किया गया, जिसे सैकड़ो लोगों ने प्रसाद स्वरूप ग्रहण किया। इस कार्य में क्षेत्र के प्रमुख सामाजिक कार्यकर्ता मदन बोहरा उनका लंबे समय से सहयोग करते आ रहे हैं।

Deepak Fulera

देवभूमि उत्तराखण्ड में आप विगत 15 वर्षों से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पत्रकार के रूप में कार्यरत हैं। आप अपनी पत्रकारिता में बेबाकी के लिए जाने जाते हैं। सोशल प्लेटफॉर्म में जनमुद्दों पर बेबाक टिपण्णी व सक्रीयता आपकी पहचान है। मिशन पत्रकारिता आपका सर्वदा उद्देश्य रहा है।

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