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खटीमा(उत्तराखंड)- उत्तराखंड में सहकारिता विभाग में विभिन्न पदों में होने वाली नियुक्तियों धांधली किसी से छुपी नहीं है। लेकिन अब सूबे में सहकारिता विभाग की संपत्तियां भी सुरक्षित नहीं है। ताजा मामले के अनुसार मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के गृह क्षेत्र खटीमा में सहकारिता विभाग की दुकानों में अवैध कब्जे का मामला सामने आया है।लेकिन सहकारिता विभाग के अधिकारी इस सब से अनजान बैठे हुए है।
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पूरे मामले के अनुसार सीमांत विधानसभा खटीमा के मुख्य चौराहे के समीप बैंक ऑफ बड़ौदा के बगल से गुजरने वाली गली में सहकारिता विभाग की दुकानें है जो की पिछले लंबे समय से बंद पड़ी थी।लेकिन वर्तमान में दो दुकानों में अज्ञात लोगो द्वारा कब्जा किया जा रहा है।दुकानों का रंगरोगन कर दुकानों पर वर्तमान में कार्य चल रहा है।लेकिन विभाग के अधिकारी सहित सहकारिता चेयरमैन कुंभकर्णी निंद्रा में सोए हुए है।फिलहाल खटीमा मुख्य बाजार में स्थित सहकारिता की लाखो की दुकानें पर कब्जा विभागीय मिलीभगत से किया जा रहा हो इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता है।
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बेबाक उत्तराखंड द्वारा जब खटीमा नगर में स्थित सहकारिता विभाग की दुकानों पर अज्ञात लोगो द्वारा कब्जे व दुकानों में निर्माण कार्य के संदर्भ में सवाल पूछा गया तो सहकारिता विभाग के सचिव विकास शर्मा ने इस मामले में पहले तो अनभिज्ञता जताई लेकिन बात में इस मामले पर खटीमा आकर पूरे प्रकरण को देखने की बात कही है।जबकि सहकारिता विभाग की ए आर तुलसी जी से जब सहकारिता विभाग की खटीमा स्थित दुकानों पर कब्जे की बात कही तो वह इस पूरे मामले के उनके संज्ञान में ना होने की बात कह सचिव से इस मामले के जानकारी ले जांच की बात कहती नजर आई।
इस पूरे प्रकरण में उत्तरी दीर्घाकार सहकारी समिति के अध्यक्ष गोविंद सिंह राणा ने जानकारी दी की पूर्व ने निबंधक जी के खटीमा दौरे के दौरान सहकारिता विभाग की दुकानों को किराए पर दे आए बड़ाने के निर्देश दिए थे।बोर्ड में भी यह मामला आ चुका है।लेकिन सहकारिता विभाग की दुकानें किराए पर फिलहाल नही दी गई है।उन्होंने इस विषय को सचिव के आने पर देखने की बात कही है।फिलहाल सहकारिता विभाग की धूल फांकती दुकानें जहां खुलेआम सज संवर रही है।लेकिन विभाग व चेयरमैन की इस पूरे मामले पर अनभिज्ञता बड़े सवाल खड़े कर रही है।
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सरकार के जीरो टॉलरेंस के दावों के बीच सरकारी संपत्तियों को खुर्दबुर्द कर कब्जे के प्रयास हो रहे है।लेकिन पूरा का पूरा सिस्टम सोया नजर आ रहा है।जबकि सूत्रों की माने तो बैक डोर से दुकानों के अंदर टेबल सौदे के बाद दुकानों पर मालिकाना हक जताने को लेकर उसका रंग रोगन कर कब्जे की कवायद जारी है।लेकिन इस भ्रष्ट व्यवस्था में इस अनैतिक कृत्य को रोकने को फिलहाल कोई आगे आता नही दिख रहा है।इन सब हालातो में बस कुछ शब्द चरितार्थ होते दिख रहे है की ….राम नाम की लूट है लूट सके तो लूट….
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