सुदूर क्षेत्रों के समग्र विकास से रोका जा सकता है पलायन।
चंपावत(,उत्तराखंड)- मुख्यमंत्री सीमांत क्षेत्र विकास योजना से जनपद के सीमांत के गांवों की तस्वीर को संवारने हेतु सभी सम्बंधित विभाग आपसी समन्वय स्थापित कर अभिनव प्रयास कर कार्य करें। यह निर्देश जिलाधिकारी नवनीत पांडेय द्वारा मुख्यमंत्री सीमांत क्षेत्र विकास (MBADP) तथा मुख्यमंत्री पलायन रोकथाम योजना की बैठक में सम्बंधित अधिकारियों को दिए। मुख्यमंत्री सीमांत क्षेत्र विकास व मुख्यमंत्री पलायन रोकथाम योजना की एक बैठक जिलाधिकारी की अध्यक्षता में विकास भवन सभागार में आयोजित हुई। जिलाधिकारी ने मुख्यमंत्री सीमांत क्षेत्र योजना के तहत क्षेत्रीय विकास पर ध्यान देने को कहा है उन्होंने कहा कि सीमांत क्षेत्रों की सुविधाओं के विकास से पलायन रोकने में मदद मिलेगी। सम्बंधित विभाग इस तरह की कार्ययोजना तैयार करे जिससे सीमांत में निवास कर रहे लोगो को अधिक से अधिक लाभ मिले और उनको अपने क्षेत्र से पलायन ना करना पड़े।
डीएम ने अधिकारियों को ऐसी योजनाओं को प्राथमिकता देने को कहा जिससे काश्तकारों व कृषकों को वास्तव में लाभ प्राप्त हो ओर उनकी आजीविका में सुधार आये। साथ ही उन्होंने मुख्य कृषि अधिकारी को निर्देश दिए कि किस क्षेत्र में कौन सी फसल की पैदावार अच्छी मात्रा में होती हैं। यह सर्वेक्षण करने के पश्चात योजनाओ को रखें व प्रस्ताव तैयार करे ताकि सीमांत के उन कृषकों को लाभ मिले जिन्हें वास्तव में इन योजनाओं की आवश्यकता है।
जिलाधिकारी ने मुख्य कृषि अधिकारी व जिला उद्यान अधिकारी को निर्देश दिए कि फल पौध वितरण हेतु क्लस्टर तैयार करने के साथ ही काश्तकारों को अच्छी वेराइटी के पौध उपलब्ध कराए। इसके अतिरिक्त मोटे (मिलेट्स) अनाजों का भी प्रचार प्रसार करें। जिला भेषज समन्वयक ने अवगत कराया कि जनपद के सीमांत सेंटर में रोजमेरी के उत्पादन की काफी संभावनाएं हैं। जिनकी खेती करने से किसानों की आय दुगनी होगी। इन पौधों को जानवरों द्वारा भी नुकसान नही पहुचाया जाता हैं।
जिलाधिकारी ने भेषज समन्वयक को आंवला व दाड़िम की पौध तैयार करने व वितरण करने के साथ साथ इस सम्बंध में कृषकों को प्रशिक्षण देने के निर्देश दिए। बैठक में दुग्ध विकास प्रबन्धक ने अवगत कराया कि सीमावर्ती गांवों में दुग्ध विकास द्वारा दुग्ध समितियां खोली जानी हैं। जिसमे चयनित दुग्ध समितियों के दुग्ध उपार्जन पर स्थानीय लोगों की आय में बढ़ोतरी होगी। जिलाधिकारी ने कहा कि सुखीढांग स्थित एनएच के भवन का उपयोग विभिन्न विभाग कर सकते हैं। जिसमे मिल्क बार, मत्स्य विभाग, उद्यान विभाग के अतिरिक्त अन्य विभाग भी अपने काउंटर लगा आय का स्त्रोत बड़ा सकते है। जिलाधिकारी ने परियोजना अधिकारी उरेडा को निर्देश दिए कि सुखीढांग बाजार, रा0इ0 कॉलेज सुखीढांग के अतिरिक्त ऐसे स्थानों का चयन कर सोलर लाइट लगाए जहां गुलदार का आतंक बना रहता है। जिससे लोगों को रात की आवाजाही में भी सहूलियत हो। जिलाधिकारी ने कहा कि जनपद के बुडम क्षेत्र में काफी संभावनाएं हैं वहा अभिनव कार्य करने हेतु सभी विभाग आपसी समन्वय के साथ कार्य योजना तैयार करें।
उन्होंने खण्ड शिक्षा अधिकारी को निर्देश दिए कि सीमावर्ती क्षेत्रों सुखीढांग व दिगालीचौड़ के अलावा ऐसे विद्यालयों का चयन कर लाइब्रेरी की स्थापना करें जहाँ बच्चों को स्कूली शिक्षा के साथ- साथ प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर सकें।इस हेतु एक कमरा तैयार करें जिसमे बैठने हेतु अच्छे फर्नीचर की व्यवस्था के साथ ही नेट कनेक्टिविटी की उपलब्धता कराई जाए। जिससे कि सीमांत में रहे वाले विद्यार्थियों को लाभ मिल सके और उनको पठन पाठन में समस्या ना आये। उन्होंने कहा कि हमारे जनपद में कृषि के लिए पर्यावरण बहुत अच्छा हैं उन्होंने गहत व तेजपात के अलावा अन्य फसल जो जनपद में अच्छी पैदावार में होती हैं उन फसलों पर फोकस कर इन के बीजों का भण्डारण कर किसानों में बीज बाटे जाने को लेकर कार्ययोजना शीघ्र तैयार करने के निदेश दिए। जिससे लोगो को लाभांवित किया जा सके।
उन्होंने दो दिन में सभी सम्बन्धितों को अपने-अपने विभागों से सम्बंधित कार्ययोजना का प्रस्ताव तैयार कर प्रेषित करने के निर्देश दिए। उन्होंने सम्बंधित अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे एमबीएडीपी में स्वीकृत होने वाले कार्यों को गम्भीरता से लेते हुए समय पर पूर्ण कराये ताकि योजनाओं का लाभ आमजन को मिले।
जिलाधिकारी पांडेय द्वारा मुख्यमंत्री पलायन रोकथाम योजना अंतर्गत गांवों से पलायन को रोकने के लिए संबंधित विभागों द्वारा गांवों का सर्वेक्षण कर संचालित की जाने वाली योजनाओं के लिए कार्य योजना तैयार करने के निर्देश दिए। जिलाधिकारी ने संबंधित विभाग जिसमें कृषि, उद्यान, उद्योग, पशुपालन, सिंचाई, शिक्षा, डेयरी, भेषज, मत्स्य, आदि विभागीय अधिकारियों को निर्देशित करते हुए कहा कि पलायन प्रभावित गांवों में आधारभूत सुविधाएं उपलब्ध कराए जाने तथा ग्रामीण लोगों की आजीविका में वृद्धि करने के लिए सभी अधिकारी गांव का सर्वेक्षण करते हुए गांव में जो भी योजनाएं सफलता पूर्वक संचालित की जा सकती हैं उन योजनाओं के लिए कार्य योजना तैयार करने के निर्देश दिए। उन्होंने यह भी निर्देश दिए हैं कि गांव की भौगोलिक परिस्थितियों के मध्यनजर कृषि एवं औद्यानिकी के क्षेत्र में जो भी फसल एवं फल की अधिक पैदावार है उसी के लिए बेहतर कार्य योजना तैयार करने के निर्देश दिए ताकि लोगों की आजीविका में वृद्धि हो सके। उन्होंने सभी अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि इसमें सभी अधिकारी संवेदनशीलता के साथ त्वरित सर्वेक्षण करते हुए सभी विभाग अपनी-अपनी कार्ययोजना के प्रस्ताव दो दिन में उपलब्ध कराना सुनिश्चित करें। बैठक में मुख्य विकास अधिकारी राजेन्द्र सिंह रावत, एएमई भगवत पाटनी, मुख्य कृषि अधिकारी गोपाल सिंह भण्डारी, जिला विकास अधिकारी डीके चंद, खण्ड शिक्षा अधिकारी भरत जोशी, बीडीओ लोहाघट अशोक अधिकारी, चम्पावत कवींद्र सिंह, जिला उद्यान अधिकारी टीएन पांडेय, परियोजना अधिकारी चांदनी बंसल समेत अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।