खटीमा(उधम सिंह नगर)- सीमांत खटीमा क्षेत्र में दो दशकों से शैक्षिक उत्थान के लिए डायनेस्टी मॉर्डन गुरुकुल एकेडमी छिनकी के प्रबंध निदेशक धीरेंद्र चंद्र भट्ट द्वारा सराहनीय कार्य किया जा रहा है।इसके साथ ही साहित्य संवर्धन हेतु भी अपने कदम बड़ा डायनेस्टी ने प्रथम अंतर्राष्ट्रीय काव्य सम्मेलन का 23 नवंबर को स्कूल परिसर में भव्य आयोजन किया।इस अंतर्राष्ट्रीय काव्य समागम में पड़ोसी देश नेपाल उत्तराखंड व उत्तर प्रदेश के सुविख्यात कवियों व साहित्यकारों ने शिरकत की।
प्रथम अंतर्राष्ट्रीय काव्य सम्मेलन में पहुंचे भारत नेपाल के कवियों का कॉलेज द्वार पर कुमाऊनी संस्कृति के छोलिया नृत्य दल की सुंदर प्रस्तुति ,कॉलेज छात्राओं द्वारा तिलक लगा व डायनेस्टी विद्यालय परिवार के द्वारा फूल माला व बैच अलंकृत कर भव्य स्वागत अभिनंदन किया गया।इस अवसर पर एनसीसी कैडेट द्वारा शानदार मार्च पास कर आगुंतक कवि व कार्यक्रम में पहुंचे अतिथियों को प्रफुल्लित किया।
कार्यक्रम का शुभारंभ डायनेस्टी गुरुकुल स्कूल के प्रबंध निदेशक धीरेंद्र भट्ट,काव्य सम्मेलन के सह सयोजक महेंद्र प्रताप पांडे नंद,नेपाल से आए कवि हरीश प्रसाद जोशी मधु हमाल व अन्य वरिष्ट कवियों द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया।डायनेस्टी परिवार द्वारा कार्यक्रम स्थल पर बनाए गए सेल्फी प्वाइंटों पर भी कवि गणों व अन्य अतिथियों ने जमकर छाया चित्रों को संकलित किया।काव्य सम्मेलन के प्रारंभ में डायनेस्टी के छात्र छात्राओं ने सरस्वती वंदना,स्वागत गीत,रामायण अभिनय व काव्य पाठ कर जमकर तालियां बटोरी।
कार्यक्रम में मुख्य अथिति के रूप में खटीमा फाइबर सीएमडी डॉ आर सी रस्तोगी ने शिरकत की।प्रथम अंतर्राष्ट्रीय काव्य सम्मेलन में नेपाल उत्तराखंड व उत्तर प्रदेश से आए कवियों ने अपनी काव्य प्रस्तुतियों से शमा बांध दिया।इस अवसर पर भारत व नेपाल कि साझा संस्कृति को काव्य रचनाओं के माध्यम से प्रस्तुत किया गया।साथ ही वीर, श्रृंगार, हास्य ,व्यंग सहित विभिन्न विधाओं में शानदार काव्य पाठ कर श्रोताओं की जमकर कवियों ने तालियां बटोरी।
अंतर्राष्ट्रीय काव्य सम्मेलन में कवि रामरतन यादव ने फूलों की तरह जग में महकती है बेटियां, शहाना कुरैशी ने रंग लाई दुआ तो करिशमा हो गया, कमल बिष्ट ने जब गांव हमारा खो गया था, नूरे निशां ने वह मेरे लिए किसी आसमान से कम नहीं, शांति देवी ने ऐ नौकरी तू मुझे अब कब मिलेगी, मो. इलियास सिद्दीकी ने अजब यह उत्तराखंड की सर जमीं है, नेपाल के साहित्यकार हरीश प्रसाद जोशी ने संस्कृति की झाल मिली, साहित्य की जाल मिली, नेपाल की मधु हमाल ने आओ ऐसी ज्योति जलाएं, महेंद्र नगर नेपाल के रमेश पंत ने मेरा गांव इस धरती में सबसे न्यारा है, नेपाल के कविराज भट्ट ने ओ खुद वेद की खोज में चल रहा है, महेंद्र प्रताप पांडेय ने तुम भी खांसी हम भी खांसे, यही बुढ़ापा है, दीपक फुलेरा ने शब्दो के गांडीव लिए में कर्मभूमि पर निकला हूं, बसंती सामंत ने जल उठे वेदी में जब ज्योति, हेमा जोशी परू ने प्रियतम मेरे मन का गुलशन ऐसे तुम महका जाना, दया भट्ट आज अवध में आए राम, लखनऊ से आई शुचिता अजय श्रीवास्तव ने दीवाना हूं में तेरी बात का, आकाश प्रभाकर ने ये युवा वही जो दम से चट्टान हिला भी सकता है, रावेंद्र कुमार रवि ने आसमान है नीला-नीला नीली मेरी आंखे, पीलीभीत के सत्यपाल सिंह ने चकाचौंध में दुनियां की हम आसमान छू लेंगे रचना प्रस्तुत कर जमकर वाहवाही लूटी। इसके अलावा डॉ. जगदीश पंत, रवींद्र पांडये पपीहा, पुष्पा जोशी, नवनीत सिंह चौधरी, त्रिलोचन जोशी, तरुण सकलानी, कैलाश चंद्र पांडे, रामचंद्र, शहजाद अबसार सिद्दीकी, तुलसी बिष्ट, विपिन जोशी, माया जोशी, रुचि चौहान ने अपनी लेखनी से लोगों को मंत्रमुग्ध किया। कवि सम्मेलन में पड़ोसी देश नेपाल से पांच कवियों ने प्रतिभाग कर भारत नेपाल मैत्री को प्रस्तुत किया।
डायनेस्टी गुरुकुल के प्रबंध निदेशक धीरेंद्र चंद्र भट्ट व मुख्य अथिति डॉ आर सी रस्तोगी ने कवियों को सम्मानित करते हुए अंग वस्त्र प्रतीक चिन्ह व प्रशस्ति पत्र भेंट कर सम्मानित किया। भट्ट ने कहा कि कविता साहित्य की मौखिक परम्परा को आगे बढ़ाती है। कविता मनुष्य में संवेदनाओं का विकास करती है। उन्होंने समस्त कवियों को विद्यालय में पधारकर सुंदर प्रस्तुतियां देने पर उनका आभार व्यक्त किया।वही मुख्य अथिति डॉ आर सी रस्तोगी ने डायनेस्टी द्वारा आयोजित प्रथम अन्तराष्ट्रीय काव्य सम्मेलन में स्कूल प्रबंधन के आयोजन की जमकर सराहना की।साथ ही भारत व नेपाल के द्वारा प्रस्तुत काव्य पाठ को बेहतरीन बता विद्यालय के बच्चो में इस आयोजन से कविता लेखन व साहित्य के प्रति रुझान बढ़ने की बात कही।उन्होंने डायनेस्टी गुरुकुल द्वारा आगे भी इस तरह के स्तरीय काव्य सम्मेलन के आयोजन कराए जाने की आशा व्यक्त की।
अन्तराष्ट्रीय काव्य सम्मेलन का संचालन वरिष्ठ कवि महेंद्र प्रताप पांडे नंद द्वारा किया गया।कार्यक्रम के सह संयोजक के रूप नंद जी की अहम भूमिका रही।
इस उपलक्ष्य पर विद्यालय की डायरेक्टर श्रीमती प्रेमा भट्ट,प्रधानाचार्य चंद्रकांत पनेरु, प्रशासनिक अधिकारी मनीष चंद, एकेडमिक डायरेक्टर विक्टर आईवन, सुरेश ओली, दिगंबर भट्ट, अशोक जोशी, विक्रम नाथ, सुरेंद्र रावत, चामू दानू, राहुल कुमार, रमेश जोशी, श्रीमती ऊषा चौसाली, श्रीमती हेमलता बोरा, श्रीमती शिल्पा सक्सेना, श्रीमती अनीता शर्मा, हरीश भट्ट, गिरीश जोशी, श्रीमती नीतू चंद, श्रीमती कल्पना चंद, दया किशन पंत, श्रीमती कविता सामंत व विद्यालय परिवार के समस्त शिक्षक उपस्थित रहे।