
खटीमा(उधम सिंह नगर)- उत्तराखंड सरकार द्वारा संस्कृत भाषा के संरक्षण और संवर्धन के उद्देश्य से पूरे प्रदेश में संस्कृत गावों की स्थापना की जा रही है।पूरे प्रदेश भर में 13 आदर्श संस्कृत ग्राम बनाए गए है। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जी द्वारा देहरादून के भोगपुर से सभी 13आदर्श संस्कृत ग्रामों का वर्चुअल उद्घाटन किया।
खटीमा के नगला तराई में संस्कृत ग्राम के उद्घाटन कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में नगर पालिका अध्यक्ष खटीमा रमेश चंद्र जोशी, ग्राम प्रधान देवेंद्र सिंह मेहरा ने संयुक्त रूप से विधिवत मंत्रोच्चारण के साथ सरस्वती मां के सम्मुख दीप प्रज्ज्वलित कर संस्कृत ग्राम का शुभारंभ किया गया।
संस्कृत सहायक निदेशक पद्माकर मिश्रा के मार्गदर्शन और निर्देशन में आयोजित कार्यक्रम का प्रमुख उद्देश्य देव वाणी को संरक्षण प्रदान करना और समाज को संस्कारवान बनाना और देववाणी को उसके मूल स्वरूप में पुर्नस्थापित करना है। ग्राम प्रधान नगरा देवेन्द्र सिंह मेहरा की अध्यक्षता में आयोजित कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि खटीमा के नगर पालिका अध्यक्ष रमेश चंद्र जोशी रहे। उन्होंने खटीमा के नगला तराई को संस्कृत ग्राम बनाए जाने पर खुशी का इजहार किया और संस्कृत को आम जनमानस की बोलचाल की भाषा बनाए जाने का आह्वान किया। इससे पूर्व अनुदेशिका ललिता भट्ट ने कार्यक्रम की विस्तृत रूपरेखा प्रस्तुत की । ललिता भट्ट के मार्गदर्शन में बच्चों ने सरस्वती बंदना और स्वागत गीत प्रस्तुत किए और मंच पर संस्कृत भाषा में संवाद संप्रेषण कर प्रदर्शित किया।
नशामुक्ति अभियान के संयोजक शिक्षक त्रिलोचन जोशी ने जन समूह से देववाणी संस्कृत को अपनाने और उसका प्रचार प्रसार करने का आह्वान किया। उन्होंने बताया नौनिहालों को अनुशासित और नशीले पदार्थों से दूर रखने में संस्कृत भाषा का महत्वपूर्ण योगदान है। बचपन में संस्कृत के सुभाशितानी और नीतिश्लोको को कंठस्थ करने से नशे से आदतों से छुटकारा पाया जा सकता है।
संस्कृत शिक्षा से सत्यपाल शर्मा ने सभी मेहमानों का संस्कृत अकादमी उत्तराखंड की ओर से आभार व्यक्त किया।इस अवसर पर रुद्रपुर से पधारे कृष्ण कुमार शर्मा,खटीमा के कृषक नेता प्रकाश तिवारी जी, कुंदन सिंह मनोला,श्रीमती अनु सिंघल,शिक्षक दिनेश बगोटी,गांव के गणमान्य अतिथि,समाजसेवी और शिक्षक गण मौजूद रहे। कार्यक्रम का बेहतरीन संचालन अध्यापक रमेश चंद्र भट्ट द्वारा किया गया। शिक्षक हरीश चंद्र भट्ट ने स्थानीय संयोजक के रूप में कार्यक्रम को व्यवस्थित किया।





