शिक्षाविद साहित्यकार रावेंद्र कुमार “रवि” रहे काव्य गोष्ठी के मुख्य आयोजक,डॉ महेंद्र प्रताप पांडे के संचालन में आयोजित हुई भव्य काव्य गोष्टी
खटीमा(उत्तराखण्ड)- देश के पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न पंडित अटल बिहारी वाजपेई जी एक राजनेता के साथ देश के प्रख्यात कवियों में भी शुमार रहे।उनके जन्मदिन के अवसर पर साहित्य अकादमी के तत्वाधान में शिक्षाविद साहित्यकार रावेंद्र कुमार “रवि” ने मुख्य आयोजनकर्ता के रूप में वरिष्ट साहित्यकार डॉ महेंद्र प्रताप पांडे के निर्देशन में काव्य गोष्ठी का आयोजन कर साहित्य रसधार रूप अटल जी को श्रद्धांजलि अर्पित की।इस अवसर पर महामना मदन मोहन मालवीय जी को भी उनके जन्मदिन के अवसर पर काव्य गोष्ठी में एकत्र हुए प्रमुख साहित्यकार,कवियों शायरों द्वारा स्मरण किया गया।
काव्य गोष्ठी का आयोजन खटीमा के थारू राजकीय इंटर कॉलेज परिसर स्थित अजीम प्रेम जी फाउंडेशन के सभागार में किया गया।इस गोष्ठी की अध्यक्षता रामनारायण वर्मा प्रधानाचार्य चारुबेटा के द्वारा की गई।वही विशिष्ट अतिथि के रूप में श्याम वीर सिंह व कैलाश पांडे जी ने शिरकत की।काव्य गोष्ठी का सफल संचालन वरिष्ट साहित्यकार शिक्षाविद डॉ महेंद्र प्रताप पांडे द्वारा किया गया।
छंद दोहे व गीतों पर आधारित इस काव्य गोष्ठी में खटीमा क्षेत्र के प्रभुत्व कवि साहित्यकार शायरों ने शिरकत कर अपनी बेहतरीन रचनाओं से शमा बांध दिया। काव्य गोष्ठी में सर्वप्रथम कवि दीपक फुलेरा “बेबाक”ने दौरे मोहब्बत का किस्सा में सुनाऊंगा,यारो की महफिल में सच में बताऊंगा सुना काव्य गोष्ठी की बेहतरीन शुरुवात की, तो वही शांति देवी ने अपने दोहों विकट विनायक बुद्धि से रखो हमारी लाज, तेरे पूजन से बने सकल सुमंगल काज ” कह करके कार्यक्रम में चार चांद लगा दिए। वरिष्ट कवि रामचंद्र प्रेमी “दद्दा” ने “जन्म हीरा खोई दियो रे , अब काहे पछताव” तो युवा ओज कवि आकाश प्रभाकर ने “मर्यादाओं के पुरुष माना जाना जिन्हें सदा, पहचान देश की बनाने वाले राम है ” कहकर खूब वाहवाही लूटी।
बाल कवि नूरे निशा ने अपनी बाल कविताओं से “जब तितली फूलों पर डोले, तोता उससे टैटू बोले” कह कर एक नई दिशा दी तो वहीं हेमा जोशी “परू” ने अपने मधुरिम गीत “कैसे समझाऊं तुम्हें कैसे बतलाऊं तुम्हें, मैं यह जो तराने गुनती हूं ,सुनाकर तालियां बटोरी। हाजी डॉक्टर इलियास सिद्दीकी ने “नशेमन फिर बनाऊंगा चमन में, मुझे बरक ए तपा का का गम नहीं है” तो राम रतन यादव “रतन” ने अपने शृंगारिक कविता” कह न सके कुछ अधर अधखुले ,मन के भाव रह गए मन में ” सुना कर सभी को प्रभुलित किया ।
त्रिलोचन जोशी “टीसी गुरु” ने “आया जाड़ा झूमकर,ठंडक लाई भोर” सुना कर अपने विचार व्यक्त किया । जबकि बसंती सामंत ने “क्या लिखूं प्रियतम तुमको,कोई पुराना गीत लिखूं या तुमको अपना मीत लिखूं” सुनाया तो वहीं तुलसी बिष्ट ने “धूप से सुबह सलोनी और खुशनुमा है शाम, आज दिन पर हुई कुछ यूं मेहरबान है शाम” जैसी गजल सुनाई।तरुण सकलानी “सरल” ने “मैया तेरा कान्हा मां हरसाए “कह कर वातावरण को भजनमय कर दिया। कैलाश चंद्र पांडे ने संयोग श्रृंगार पर गीत प्रस्तुत कर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।
काव्य गोष्ठी का संचालन कर रहे महेंद्र प्रताप पांडे “नंद” ने भूमंडलीय ताप वृद्धि पर चिंता जताते हुए कहा कि “कैसे तुम पर प्यार लुटाऊं मुश्किल दिन है रात ,जाने कहां गई बरसात ,पूछे हरदम मोर गुजरिया” सुनाकर चिंतन को मजबूर कर दिया । शायर अमीर अहमद अमीर ने ” उसकी आंखों में नूर है शाकी,,तो रावेंद्र कुमार रवि ने” फरर फरर बढ़े गेहूं,मन में फूले फुलका सुनाकर सभी की बचपन की यादों को ताजा कर दिया।इस अवसर पर शायर तकी हनफी, अमीर अहमद “अमीर” नूर मोहम्मद “नूर” शहजादा अबसार सिद्दीकी, आलोक सिंह ने भी अपनी कविताओं और गजलों व शायरियो से कवियों की इस महफिल में चार चांद लगा दिए।
काव्य गोष्ठी कार्यक्रम के अध्यक्ष प्रधानाचार्य रामनारायण वर्मा ने कहा कि साहित्य अकादमी खटीमा के द्वारा 22 कवियों और शायरों ने अपने गीत गजल और कविताओं से समाज को नई दिशा देने का प्रयास किया है और साहित्य अकादमी परिवार का यह कार्य बहुत ही सराहनीय है। साहित्य समाज का दर्पण है और कवियों ने समाज की दशा का व्यापक चित्रण किया है।उन्होंने इस अवसर पर सभी कवियों शायरो के प्रस्तुति करण की जमकर प्रशंसा की।काव्य गोष्ठी के समापन पर महामना मदन मोहन मालवीय व भारत रत्न पंडित अटल बिहारी बाजपेई जी को नमन कर फिर अगली काव्य चौपाल पर मिलने के वादे के साथ सभी कवियों ने कार्यक्रम का समापन किया।