खटीमा: राजकीय प्राथमिक विद्यालय सिकलपट्टी स्कूल परिसर में एक दर्जन से भी अधिक हरे पेड़ो पर चला दी गई आरी,स्कूल की चार दिवारी भी हुई क्षतिग्रस्त,आपदा के नाम पर हुए अनोखे खेल की अब वन विभाग करेगा जांच, पढ़े पूरी खबर

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खटीमा(उत्तराखण्ड) – उत्तराखंड में सरकारी स्कूलों के गुरुजनों के अजब गजब कारनामे सामने आते रहते हैं। ताजा मामले में उत्तराखंड के उधम सिंह नगर जिले के सीमांत तहसील क्षेत्र स्थित एक सरकारी प्राथमिक विद्यालय के गुरुजनों ने आपदा के नाम पर अनोखा खेल खेल डाला। स्कूल परिसर में खड़े लिपटीस प्रजाति सहित अन्य प्रजाति के एक दर्जन से अधिक हरे पेड़ों को जहां लकड़ी ठेकेदार के साथ मिलीभगत कर काट दिया गया। वहीं पेड़ कटान के दौरान स्कूल की लाखों की लागत से बनी चार दिवारी भी धराशाई कर दी गई। वही वन विभाग के संज्ञान में आने के बाद अब इस मामले की जांच की जा रही है।

इस पूरे प्रकरण में खटीमा के राजकीय प्राथमिक विद्यालय सिकल पट्टी स्कूल परिसर में खड़े एक दर्जन से अधिक पेड़ो को स्कूल शिक्षकों के द्वारा कटवा दिया गया।काटे गए पेड़ो में लिप्टीस प्रजाति के अलावा आम जामुन के हरे पेड़ों पर भी आरी चला दी गई।जबकि पेड़ कटान के दौरान प्राथमिक विद्यालय की लाखो की लागत से बनी चार दिवारी को भी जगह जगह गिरा दिया गया है। स्कूल शिक्षक लकड़ी ठेकेदार व स्थानीय जनप्रतिनिधियों की आपसी जुगलबंदी के बाद काटी गई लकड़ी को बेच दिया गया है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार 12 से अधिक हरे पेड़ों पर आरी चलाई जाने के लिए आपदा नियमों का सहारा ले जर्जर हो चुके लिपटिस के पेड़ो को काटने की परमिशन एसडीएम कार्यालय से ली गई।लेकिन परमिशन की आड़ में लिप्टिस के पेड़ों के अलावा आम व जामुन के हरे पेड़ों पर भी आई चला दी गई। पेड़ों के कटान के दौरान स्कूल की चारदीवारी को भी क्षतिग्रस्त किया गया है। जबकि अब पेड़ कटान के दौरान क्षतिग्रस्त हुई स्कूल चारदीवारी को अब कौन बनवाएगा इस बात का कोई पता नहीं है। वही सरकारी स्कूल परिसर में खड़े पेड़ों को कटवा कर स्कूल शिक्षकों के द्वारा जहां बेच दिया गया है। लेकिन पेड़ काटने की एक सप्ताह से अधिक समय बीत जाने के बाद भी उन पेड़ों बेचे जाने के उपरांत प्राप्त धनराशि को सरकारी शिक्षको के द्वारा शिक्षा विभाग के मद में जमा नही कराया गया है।

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पेड़ कटान के इस पूरे प्रकरण में स्थानीय लोगों का कहना है कि उनके द्वारा शिक्षकों से उक्त मामले में जब जानकारी ली गई तो उन्हें पेड़ कटान की परमिशन की बात कह पेड़ काटे जाने की बात कही गई। साथ ही इस पूरे मामले में दो ग्राम प्रधान,लकड़ी ठेकेदार व राजकीय प्राथमिक विद्यालय सिकल पट्टी के शिक्षक द्वारा आपसी सहमति कर पेड़ो को काटा गया है।

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लिप्टिस प्रजाति के पेड़ो के अलावा अन्य प्रजाति के हरे पेड़ों पर सरकारी स्कूल परिसर में पेड़ काटे जाने की जानकारी मिलने के उपरांत खटीमा उपवन प्रभाग की एसडीओ संचिता वर्मा ने किलपुरा वन रेंज के रेंजर को उक्त मामले की जांच के आदेश दिए जाने की बात कही है। साथ ही जांच उपरांत पेड़ कटान में अनियमितता पाए जाने पर वन अधिनियम के हिसाब से कार्रवाई किए जाने की बात कही है।

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फिलहाल सरकारी स्कूल परिसर में शिक्षकों के द्वारा जहां हरे पेड़ों पर आरी चलवाए जाने का मामला चर्चाओं में है।वही मीडिया के द्वारा उक्त पूरे प्रकरण को शिक्षा विभाग, वन विभाग व प्रशासन के संज्ञान में डाले जाने के उपरांत अब उक्त पूरे प्रकरण में दूध का दूध व पानी का पानी आखिर कब तक होगा यह देखने वाली बात होगी।

Deepak Fulera

देवभूमि उत्तराखण्ड में आप विगत 15 वर्षों से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पत्रकार के रूप में कार्यरत हैं। आप अपनी पत्रकारिता में बेबाकी के लिए जाने जाते हैं। सोशल प्लेटफॉर्म में जनमुद्दों पर बेबाक टिपण्णी व सक्रीयता आपकी पहचान है। मिशन पत्रकारिता आपका सर्वदा उद्देश्य रहा है।

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