लोहाघाट: तब शिक्षादान को महान सेवा एवं पुण्य कमाने के लिए बनते थे शिक्षक,98 वर्षीय रिटायर्ड शिक्षक मोती सिंह बोरा आज भी है अन्य शिक्षको के लिए अनुकरणीय

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लोहाघाट(चंपावत)- अपनी ईमानदारी, कार्य के प्रति लगन, बच्चों के लिए समर्पण, आत्मानुसाशन एवं प्रकृति से आत्मसात करते जीवन के 98 वसंत देख चुके शिक्षक मोती सिंह मेहता में आज भी वही जुनून एवं लगन है। शिक्षक मेहता को अपने पढ़ाए बच्चों एवं उनके नाती पोतों को ऊंचे मुकाम में देखकर उनका खून बढ़ जाता है।

रेगड़ू के चाकमेहता गांव के शिक्षक मेहता ने 1944 में प्राथमिक विद्यालय कर्णकरायत से अध्यापन कार्य शुरू किया तथा 44 वर्ष की सेवा के बाद 1988 में जूनियर हाईस्कूल जानकीधार से वह रिटायर हुए। गणित विषय में पारंगत श्री मेहता ने अपनी शिक्षण कला से इस जटिल विषय को इतना आसान बना दिया कि उनके पढ़ाए हुए अधिकांश छात्रों ने एमएससी तक गणित विषय को ही अपनाया। जीवन में कठोर अनुशासन एवं दायित्व के प्रति समर्पित श्री मेहता अपने अनुभव साझा करते हुए कहते हैं कि 12 रूपए मासिक वेतन में मास्टरी करने वाले उस समय के शिक्षकों में यह होड़ लगी रहती थी कि कौन अपने पढ़ाए बच्चों को ऊंचे मुकाम में पहुंचाता है। उस समय बहुत गरीबी होती थी। गरीब बच्चों की काफी किताब, लत्ते कपड़ों की व्यवस्था हम लोग किया करते थे। हम लोग इस भावना से कार्य करते थे कि हमें जो कुछ मान सम्मान व वेतन मिलता है, वह बच्चों के कारण ही तो मिलता है।

98 वर्षीय रिटायर्ड शिक्षक मोती सिंह मेहता जी

उस वक्त हममें काम की ऐसी होड़ लगी रहती थी कि हम अपने बच्चों को सबसे आगे कैसे बढ़ाएं । शिक्षकों का इतना सम्मान होता था कि जिस घर में जाते थे, वह परिवार अपने को गौरवान्वित महसूस करता था। इस उम्र में भी रोज 8 से 10 किलोमीटर पैदल चलने एवं स्वस्थ रहने का राज बताते हुए शिक्षक मेहता कहते हैं कि मडुवे की रोटी, सात्विक जीवन, हर व्यक्ति की खुशी में अपनी खुशी देखने, सुबह तड़के उठने एवं अनुशासित जीवन बिताना ही उनकी हेल्थ का राज है।

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Deepak Fulera

देवभूमि उत्तराखण्ड में आप विगत 15 वर्षों से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पत्रकार के रूप में कार्यरत हैं। आप अपनी पत्रकारिता में बेबाकी के लिए जाने जाते हैं। सोशल प्लेटफॉर्म में जनमुद्दों पर बेबाक टिपण्णी व सक्रीयता आपकी पहचान है। मिशन पत्रकारिता आपका सर्वदा उद्देश्य रहा है।

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