

देवीधुरा(चंपावत)- चंपावत जिले की मां बाराही धाम में पाषाण युद्ध के रूप में जाने जाने वाले बग्वाल मेले का इस वर्ष भी भव्य आयोजन हुआ।रक्षा बंधन के दिन प्राचीन समय से आयोजित होने वाली बग्वाल में इस वर्ष चार खामों चम्याल,गहरवाल,
लमगड़िया, वालिग के अलावा सात थोको के योधाओ के बीच दिन में ठीक 1.58 बजे शुरू हुई।जो की फल फूल बाद में पत्थरों से चले युद्ध के साथ 2.05 समाप्त हुआ।मां बाराही के जयकारों के बीच वालिक खाम सफेद,चम्याल गुलाबी,गहड़वाल भगवा, व लमगड़िया पीली पोशाकों के साथ खोलीखाड़ चुर्बा चौड़ मैदान में बग्वाल के लिए उतरे।लगभग सात मिनट तक चले बग्वाल में डेढ़ सौ से अधिक बगवाली वीर घायल हुए।जिन्हे स्वास्थ्य विभाग की टीम द्वारा त्वरित इलाज दिया गया।

बग्वाल युद्ध के बारे में मान्यता है मां बाराही मंदिर देवीधुरा में महाभारत काल से पत्थर युद्ध की परंपरा रही है। कहा जाता है की प्राचीन काल में हर वर्ष मां बाराही को प्रसन्न करने के लिए नरबली दी जाती थी।एक बार जब चम्याल खाम से नरबली हेतु उस परिवार की बारी आई जिसमे एक दादी व पोता ही बचा था।तब दादी ने मां बाराही से रक्षा की गुहार लगाई।मां ने बाराही ने नर बलि की जगह मंदिर परिसर में पत्थर युद्ध कर एक नर के बराबर रक्त बहने पर ही प्रसन्न होने की बात कही।तभी से मां बाराही धाम देवीधुरा में गहडवाल,चमियाल, लमगड़िया व वालीक खाम के बीच बगवाल की परंपरा अनवरत जारी है। कोरोना काल के दौरान भी यह परंपरा अनवरत जारी रही।

वर्ष 2013 में हाईकोर्ट के आदेश के उपरांत पत्थर युद्ध की जगह फल व फूलों से यह युद्ध खेला जाने लगा है।इस अवसर पर सड़क के परिवहन राज्य मंत्री अजय टम्टा,पूर्व सांसद महेंद्र पाल,दिल्ली के विधायक रविंद्र नेगी,भीमताल विधायक राम सिंह केड़ा,मुख्य संरक्षक मेला समिति लक्ष्मण सिंह लमगड़िया,मंदिर समिति के अध्यक्ष मोहन सिंह बिष्ट,जिलाधिकारी चंपावत मनीष कुमार,पुलिस अधीक्षक अजय गणपति,पुलिस अधीक्षक पिथौरागढ़ रेखा यादव,मेला मजिस्ट्रेट देवीधुरा नितेश डांगर सहित हजारों लोग इस प्राचीन बगवाल युद्ध के साक्षी बने।






