डॉ देवी दत्त जोशी ,टनकपुर चम्पावत।( राम जन्मभूमि आंदोलन में सक्रिय रामभक्त)
टनकपुर(चम्पावत) – टनकपुर जैसे छोटे नगर में भी जब राम जन्मभूमि आन्दोलन की सुगबुगाहट सुनाई देने लगी तब सरस्वती शिशु मंदिर की भूमिका पर सबकी नजर थी। आपातकाल के बाद नगर की संघ इकाई निष्क्रिय सी हो गयी थी| इस बीच प्रेम नारायण मल्होत्रा जी का स्वर्गवास हो गया था जो कभी संघ के प्रचारक हुआ करते थे पारिवारिक कारणों से वापस हो गये थे और संघ गतिविधियों में सक्रिय थे। नगर में शाखा लगती थी। उन्होंने अपनी मकान की छत में अपनी छोटी बालिका और कुछ नगर के बच्चों को लेकर सरस्वती शिशु मंदिर आरम्भ किया आगे चलकर किराये में एक भवन लिया जिसमें शिशु मंदिर नगर के एक अच्छे विद्यालय के रूप में चल पड़ा |१९७१ में मैंने अपनी प्रैक्टिस आरम्भ की, १९७ ५ से मेरे बड़े बालक ने शिशु मंदिर में प्रवेश लिया तब से मेरा शिशु मंदिर योजना से परिचय हुआ| ७७ में जब आपातकाल लगा तब संघ के कार्यकर्ता जेल गये शिशु मंदिरो को सरकार ने अपने हाथ में ले लियेे ।
आपातकाल समाप्त होने के पश्चात शिशु मंदिर और संघ कार्य फिर अपनी गतिविधियों में सक्रिय हो गये |जनता की मांग पर शिशु मंदिर के जूनियर कक्षा आरम्भ हो गये | इस बीच संघ की गति विधि और विद्यालय योजना ने गति पकड़ी ही थी कि प्रेम नारायण जी का स्वर्गवास हो गया |नगर में शोक मनाया गया और उनके कार्य को आगे बढ़ाने की बात हुई।
अगली बैठक में जूनियर सेक्शन बन्द करने प्रस्ताव आया मैंने कहा पहली बैठक में उनके कार्य को आगे बड़ाने की बात थी आज बन्द करने का प्रस्ताव उचित नहीं । इतना कहते ही विद्यालय की व्यवस्था मुझे सौंपकर जो घाटा था उसी समय पूराकर सबने भविष्य में भी पूर्ण सहयोग का आश्वासन देकर व्यवस्था संभालने का प्रस्ताव कर दिया |उस समय तक न मुझे विद्यालय व्यवस्था का अनुभव था और न संघ से परिचित था ।आर्थिक रूप से भी मैं सक्षम नहीं था ,परन्तु सबने हर प्रकार के सहयोग का आश्वासन देकर मुझे ही योजना में सहभागी बना दिया ।अच्छा कार्य मान मैंने भी सबसे सहयोग की अपेक्षा करते हुये पुनीत कार्य को आगे बड़ाने का प्रयास किया।
श्री राम जन्मभूमि आन्दोलन के समय टनकपुर में विधिवत न संघ हीे सक्रिय था न विश्व हिन्दू परिषद् आपातकाल और प्रेम नारायण जी के पश्चात् भाजपा भी नाममात्र की भूमिका में थे |पूरे देश के समाचार से लोग बहुत प्रोत्साहित थे | सूचना मिली कि विश्व हिन्दू परिषद् के आनन्द जी आने वाले हैं रामजन्मभूमि के सम्बन्ध में बैठक का आयोजन करना है | आनन-फानन में एक रजिस्टर पूरे नगर में घुमाया हिन्दू समाज से इस अपेक्षा के साथ कि रामजन्मभूमि आन्दोलन में हम सबकी भी भूमिका सुनिश्चित हो | शिवालय में पहली बैठक में ७५ संख्या रही।
इस बैठक की विशेषता थी कि इसमें न कोई कांग्रेस न भाजपा न सपा सब हिन्दू के नाते एक मंच में दिखे | सबने तन मन धन से सहयोग किया | आनन्द जी ने अपना विषय बड़ी गम्भीरता से रखा सभी बहुत प्रभावित हुए एक का प्रस्ताव था कि सभी व्यवस्था शिशु मंदिर और विद्या मंदिर के आचार्यों को दे दी जाय हम सब सहयोग करेंगे। आनन्द जी ने कहा आचार्य लोगों का काम पढाना है व्यवस्था आप लोगो ने करनी है वे आपको सहयोग करेंगे।यदि आप लोग नहीं कर सकते तो एक टनकपुर में काम नहीं भी होगा तो कोई बात नहीं परन्तु सब एक मत से तैयार हो गये बहुत उत्साह पूर्वक आन्दोलन की भूमिका बनी और पहली बार टनकपुर का हिन्दू समाज एकमत होकर आगे बड़ा।
रथयात्रा में महिलाओं की भूमिका अत्यन्त उत्साहवर्धक रही | एक ऐसा वातावरण बना जिसकी कल्पना भी नहीं थी | इस आन्दोलन में कुछ ऐसे लोग जुड़ गये जो कभी समाजिक कामों से दूर रहते थे कुछ विरोधी विचार धारा के लोगों का मन भी बदला और सदा के लिए हिदुत्व विचार धारा से जुड़ गये| | आन्दोलन ने जब समाज में अपनी पकड़ बना ली लोग कुछ भी करने को तैयार हो गये कार सेवा के लिए अयोध्या जाने की योजना बनने लग गयी टनकपुर में एक बड़ी बैठक हुई कब कौन कौन किस रास्ते जायेंगे इस बीच समाचार यह भी आया कि दक्षिण भारत से अपेक्षा से अधिक लोग पहुंचे चुके हैं अत: अभी रुककर आना है परन्तु प्रशासन पर दबाव था गिरफ्तारी फौरन आरम्भ की जाय शाम को सात बजे मुझे क्लिनिक से ही थाने में बुला लिया थोड़ी देर में गुलजारी लाल शर्मा जी जो नगर में प्रचार और पोस्टर लगाने में सक्रिय थे को भी थाने में रोक लिया। सुबह सुबह खटीमा थाने में खटीमा नानकमत्ता सितारगंज के लोगों को गिरफ्तार कर हल्द्वानी ले गये जहाँ जेल भर चुकी थी।रात रानीबाग पर्यटक भवन में और प्रातः होते ही अल्मोड़ा जेल में हमें पहुंचा दिया। दूसरे दिन टनकपुर से शिवराज सिंह कठायत जी और कपूर साहब भी अल्मोड़ा जेल पहुँच गये। पता चला उत्तराखण्ड की जेले रात में ही फुल हो चुकी थी आगे उत्तर प्रदेश की जेलों की ओर ले जाया गया,जनता में अपार उत्साह देखने को मिला।
सभी को १४ दिन बाद फिर खटीमा लाया गया माफी नामा लिखने पर छोड़ने की बात हुई कोई तैयार न था अत: फिर वापस अल्मोड़ा भेजा गया जिसके उपरांत १९ दिन बाद रिहाई हुई।
उसके पश्चात टनकपुर में संघ विचार धारा की गतिविधि में गम्भीरता से सभी वर्गों में कार्य आरम्भ हुआ | आज आवश्यकता है समान विचार धारा के संगठनों में गम्भीर समन्वय की जिसमें सत्ता आने के पश्चात स्वार्थ की झलक दिखने लगी है | अति उत्साही और महत्वाकांक्षी लोगों की भरमार से गुणवत्ता में कमी देखने को मिल रही है | कितने ही लोगों की निस्वार्थ सेवा के परिणाम को कुछ स्वार्थी पद लोलुप चाटुकार भोग रहे हैं यह संगठन और राष्ट्र हित में नहीं इस पर गम्भीर चिन्तन की आवश्यकता है।