शिक्षक दिवस विशेष: चंपावत जनपद के शिक्षक बड़ा रहे शिक्षक पेशे का मान,अपने बेहतरीन प्रयासों से बच्चो में फैला रहे शिक्षा का उजियारा

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चंपावत(उत्तराखंड)- चंपावत जनपद के कई शिक्षक अपने शिक्षक पेशे को अपनी मेहनत व समर्पण के चलते नए मुकाम पर ले जाने का काम कर रहे है।जनपद के दुरस्त विद्यालयों में कार्यरत यह शिक्षक शिक्षण कार्य में अपने बेहतरीन समर्पण के लिए जाने जाते है।जनपद की भावी पीढ़ी को आदर्श नागरिक बनाने में जुटे एक ऐसे शिक्षक है सुरेश आर्य। बच्चों के सर्वांगीण विकास के साथ उनमें चरित्र निर्माण एवं संस्कारों से बच्चों के जीवन में नई रोशनी दे रहे जीआईसी चंपावत के सुरेश आर्य ऐसे शिक्षक हैं कि उन्हें यह बात कचोटती रहती है कि जो वेतन उन्हें मिलता है, उसके एवज में वे बच्चों को उतना नहीं दे पाते हैं। इस भावना से कार्य करते हुए वह आईसीटी का प्रयोग करते हुए बच्चों को शिक्षा के साथ हर क्षेत्र में अग्रिम पंक्ति में खड़ा करने के लिए अनवरत प्रयासों में लगे रहते हैं, जिसमें इन्हें कभी थकान नहीं लगती है और न ही उनके चेहरे में कोई शिकन आती है। यही कारण है कि उन्हें शैलेश मटियानी शिक्षक दक्षता पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। शिक्षक को समाज का दर्पण मानने वाले श्री आर्य ने अपने व्यक्तित्व व कृतित्व को ऐसा रूप दिया है कि हर छात्र का मस्तक उनके सामने झुक जाता है। छात्र इन्हें अपने भविष्य का अच्छा शिल्पी मानते हैं, जिनमें ना कोई पुरस्कार पाने की इच्छा रहती है और ना कोई दिखावे की भावना। बच्चों के प्रति पूरी तरह समर्पण भाव बनाए रखने के लिए यह भगवान से प्रार्थना करते हैं कि उनका पढ़ाया हुआ बच्चे अपने कार्य व्यवहार से सूर्य और चंद्रमा की तरह चमकते रहें।

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उत्तराखंड की सरकारी शिक्षा को नया आयाम देते आ रहे हैं शिक्षक लक्ष्मण मेहता।

लोहाघाट। बच्चों के सर्वांगीण विकास का संकल्प लेकर कार्य करने वाले जूनियर हाई स्कूल फोर्ती के प्रधानाध्यापक लक्ष्मण सिंह मेहता ने यह दिखा दिया है कि यदि शिक्षक चाहे तो अपने विद्यालय को हर क्षेत्र में पहली पंक्ति में खड़ा होने से उन्हें कोई नहीं रोक सकता। इन्होंने दुर्दशापूर्ण स्थिति के विद्यालय को भौतिक संसाधनों एवं शिक्षा की गुणवत्ता के अलावा हर क्षेत्र में अग्रिम पंक्ति में खड़ा कर दिया है। बच्चों में ऊंची उड़ान का हौसला बढ़ाने के कारण विद्यालय को ऐसा आदर्श रूप दिया है, जिसकी चर्चा जिले के शिक्षा जगत में होती रहती है। पतंजलि योगपीठ के जिला प्रभारी के रूप में उनके द्वारा सबसे पहले यहां योग की कक्षाएं शुरू कर पर्यावरण संरक्षण, नशा मुक्ति, सामाजिक विकृतियों को दूर करने एवं बच्चों में शिक्षा के साथ संस्कार देने का कार्य किया जाता रहा है। कई वर्षों से श्री मेहता उत्तराखंड के शिक्षकों को विभिन्न मंचों से जोड़कर यूपी के शिक्षकों की थीम मिशन शिक्षण संवाद को उत्तराखंड में स्थापित कर ऑनलाइन शिक्षकों से संवाद कर शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार एवं उसे आधुनिक रूप देने में लगे हुए हैं, जिसका लाभ राज्य के शिक्षकों के माध्यम से बच्चों को मिल रहा है। इन्हें इस बात की खुशी है कि ईश्वर ने उन्हें उनके पिता श्री मोती सिंह मेहता के पदचिन्हों पर चलने की शुरू से ही प्रेरणा दी हुई है।

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विद्यालय में मां की तरह बच्चों को प्यार व दुलार देती हैं शिक्षिका तारा अधिकारी

लोहाघाट। ग्रामीण क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय मानाढुंगा की प्रधानाध्यापिका तारा अधिकारी ऐसी शिक्षिका हैं जिन्होंने अपने विद्यालय को ऐसा स्वरूप दिया है, कि यहां पब्लिक स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के अभिभावकों ने प्राइमरी स्कूल में अपने बच्चों का भविष्य अधिक सुरक्षित महसूस किया है। यह ग्रामीण क्षेत्र का ऐसा विद्यालय है, जहां सर्वाधिक 66 बच्चे अध्ययन करते हैं। विद्यालय में शिक्षा का स्तर, अनुशासन एवं अन्य गतिविधियों ने पब्लिक स्कूलों को मात दी हुई है। शिक्षिका के छात्रों के प्रति समर्पण भाव को देखते हुए इन्हें जिलाधिकारी द्वारा भी सम्मानित किया जा चुका है। यह शिक्षिका स्कूली बच्चों से घर की तरह प्यार और दुलार देते हुए शिक्षा के साथ उनके सर्वांगीण विकास में ऐसे जुटी हुई हैं, जैसे यह स्वयं उनके ही बच्चे हों। शिक्षा तारा कहती हैं कि सही मायने में शिक्षक वही है, जो अपने बच्चों की तरह अन्य बच्चों की देखरेख करते हैं। विद्यालय की विशेषता यह है कि शिक्षा तारा को सहयोगी शिक्षक के रूप में बद्री सिंह, चंद्रलेखा एवं रेनू वर्मा ऐसे शिक्षक मिले हैं, जो कदम से कदम मिलाकर उनके साथ चल रहे हैं।

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निर्धन एवं अपवंचित बच्चों की उम्मीदों को लगा रहे पंख शिक्षक उपाध्याय

लोहाघाट। राईका बापरू के सात विषयों से परास्नातक शिक्षक प्रकाश चंद्र उपाध्याय के त्याग, समर्पण और आर्थिक सहायता के बल पर विभिन्न छात्रवृत्ति परीक्षाओं एवं राष्ट्रीय स्तर की विविध प्रतियोगिताओं में सफल होकर छात्र-छात्राएं स्वयं अपने पैरों में खड़े होकर अपने जीवन का मार्ग प्रशस्त कर रहे हैं। शिक्षक उपाध्याय रविवार व अवकाश के दिनों में भी छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कराकर एवं उपचारात्मक शिक्षण कर एक अनूठा उदाहरण प्रस्तुत कर रहे हैं। समय-समय पर उनके द्वारा छात्रों को पुरस्कार व आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है। निरंतर उनके द्वारा किए गए नवाचारी प्रयोगों से बच्चे कठिन संबोधों को आत्मसात कर सफलता की नित नई ऊंचाइयां छू रहे हैं। श्री उपाध्याय स्कूली बच्चों को अपने परिवार का ही एक हिस्सा मानते हुए दिन-रात उनके भविष्य निर्माण हेतु समर्पित होकर कार्य करते हैं। आईसीटी के बेहतरीन उपयोग से शिक्षा के क्षेत्र में इनके द्वारा अतुलनीय योगदान दिया जा रहा है।

Deepak Fulera

देवभूमि उत्तराखण्ड में आप विगत 15 वर्षों से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पत्रकार के रूप में कार्यरत हैं। आप अपनी पत्रकारिता में बेबाकी के लिए जाने जाते हैं। सोशल प्लेटफॉर्म में जनमुद्दों पर बेबाक टिपण्णी व सक्रीयता आपकी पहचान है। मिशन पत्रकारिता आपका सर्वदा उद्देश्य रहा है।

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