चंपावत(चंपावत)- जिले की सर्वोच्च निर्वाचित संस्था जिला पंचायत में एएमए की एक कुर्सी के दो दावेदार होने से जहां जिला पंचायत की साख पर असर पड़ रहा है, दूसरी ओर अनावश्यक विवाद की स्थिति पैदा होने से यहां के सभी कर्मचारी भी तनाव में है। दरअसल जिला पंचायत के एएमए भगवत पाटनी का यहां से बिना किसी कारण के उत्तरकाशी जिले के लिए स्थानांतरण कर दिया गया था। शासन के इस आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती देते हुए पाटनी ने न्यायालय से स्थानांतरण स्थगन आदेश प्राप्त कर वह अपना कार्य पूर्व की तरह करने लगे।
इसी दौरान शासन के पंचायती राज विभाग की ओर से नया आदेश जारी कर यहां उधम सिंह नगर से तेज सिंह को भगवत पाटनी के स्थान पर एएमए के रूप में भेज दिया गया। जबकि पाटनी न्यायालय से स्थगन आदेश प्राप्त करने के तत्काल बात से ही यहां रुके हुए सारे कामों का निस्तारण करने लगे थे। कानूनी जानकारों का कहना है कि पाटनी को उनके स्थानांतरण आदेश पर जब हाईकोर्ट ने स्थगन आदेश जारी कर दिया था तो उनके प्रतिस्थानी आने का कोई सवाल ही नहीं उठता है। यदि कोई गलती से आ भी गया है तो उसे उसके मूल स्थान में भेजा जाना चाहिए।
विभागीय कायदे कानूनों की लक्ष्मण रेखा के बाहर जाने से परहेज करने वाले पाटनी के पक्ष में जिला पंचायत का पूरा स्टाफ समर्थन में खड़ा बताया जाता है। उनका मानना है कि ऐसे तो कोई भी कर्मचारी कभी भी बलि का बकरा बन सकता है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की परिकल्पना के अनुसार चम्पावत को मांडल जिला बनाने के लिए जहां काम करने वाले अधिकारियों की काफी जरूरत है ऐसे माहौल में जिला पंचायत जैसे महत्वपूर्ण विभाग में ऐसे समय एएमए का विवाद पैदा किया गया है जब की उत्तर भारत का प्रमुख बगवाल मेले की युद्ध स्तर पर तैयारियां की जा रही है तथा मेला मुंह के पास आता जा रहा है। और मेले का पूरा दारौमदार जिला पंचायत के हाथ में है।
हालांकि एएमए पाटनी मेले को भव्य बनाने की दिशा में पूरी ताकत के साथ जुटे हुए हैं। लेकिन उन्हें यह बात कचोटती आ रही है की निष्ठा से जनहित में कार्य किए जाने के बावजूद उनके साथ ऐसा क्रूर व्यवहार कौन और क्यों कर रहा है ?