लोहाघाट: रामलीला की शुरुआती प्रयास ने लोगों को बांध दिया आध्यात्मिक एवं धार्मिक भावनाओं की डोर में,शिक्षाविद त्रिलोक राम आर्य ने ही शुरू की थी फोर्ती गांव में रामलीला

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लोहाघाट(चंपावत)- लोहाघाट नगर के समीप फोर्ती गांव में चल रही शानदार रामलीला ने न केवल यहां के हर वर्ग के लोगों को आध्यात्मिक, धार्मिक डोर में बांध कर ही नहीं रखा बल्कि यहां की युवा शक्ति संगठित होकर प्रत्येक रचनात्मक कार्य में प्रथम पंक्ति में दिखाई देती आ रही है। जब नगर तथा आसपास के क्षेत्र में दशहरा पर्व के साथ रामलीला का समापन होता है, तब उसके बाद फोर्ती गांव की लीला शुरू होती है।

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गांव की ऊंचाई में होने के कारण यहां की लीला के पात्रों के अभिनय का स्वर हर घर में सुनाई देता है। आज से 27 वर्ष पूर्व यहां की रामलीला की शुरुआत शिक्षाविद एवं संस्कृति में रूचि रखने वाले तिलोक राम आर्य ने लोगों को प्रेरित कर रामलीला की शुरुआत कराई थी। वाद्य यंत्र व पात्रों को तालीम देने में उन्हें महारत हासिल हुआ करती थी। आज इस गांव के हर युवा इतने पारंगत हो गए हैं कि उन्हें किसी भी पात्र की भूमिका के लिए किसी भी वक्त मंच में उतर जा सकता है।

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यहां की रामलीला की कमान संदीप बगौली जैसे युवाओं के हाथों में है। यहां के पात्रों द्वारा जीवंत अभिनय किया जाता है। यहां धनुष यज्ञ की रामलीला में उमड़ी भारी भीड़ से यहां का मैदान छोटा पड़ गया था। श्रीराम एवं जानकी संवाद, राजा जनक का सभी राजाओं का स्वागत, परशुराम-लक्ष्मण एवं रावण बाणासुर के संवाद ने दर्शकों की खूब तालियां बटोरी।

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श्रीराम का विवेक बगौली, लक्ष्मण का सचिन पुनेठा, सीता का मानसी सुतेड़ी, रावण का अमित बगौली, दशरथ का अमित उपाध्याय, जनक का राजू बिष्ट, बाणासुर का रोहित पुनेठा, परशुराम का सोनू चौबे, विश्वामित्र का रोहित बगौली ने शानदार अभिनय कर अपनी कला का प्रदर्शन किया।

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Deepak Fulera

देवभूमि उत्तराखण्ड में आप विगत 18 वर्षों से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पत्रकार के रूप में कार्यरत हैं। आप अपनी पत्रकारिता में बेबाकी के लिए जाने जाते हैं। सोशल प्लेटफॉर्म में जनमुद्दों पर बेबाक टिपण्णी व सक्रीयता आपकी पहचान है। मिशन पत्रकारिता आपका सर्वदा उद्देश्य रहा है।

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