सीमांत कायल गांव पहुंचे डीएम चंपावत नरेंद्र भंडारी का स्थानीय ग्रामीणों ने किया भव्य स्वागत,कायल गांव से खूब दुआएं व‌ यादगार बटोर ले गए डीएम भंडारी

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मनोज कापड़ी, संवाददाता लोहाघाट

लोहाघाट(चंपावत)- नेपाल सीमा से लगे साधनों व संसाधनों से दूर कायल गांव में लंबी पैदल दूरी तय करने के बाद ग्रामीणों के बीच पहली बार पहुंचे डीएम का जीवन के 75 बसंत देख चुके विशन सिंह,संतोष सिंह, धर्म सिंह, तोताराम पांडे,ललिता आमा, खिलानंद पांडे, ने हार्दिक स्वागत व अभिनंदन किया।डीएम के जिले के दुरस्त सीमांत गांव पहुंचने पर उन्हें खूब निहारा अपना प्यार और दुलार बाटां। साथ ही स्थानीय बुजुर्ग जन ने जीवन में खूब फलने फूलने का आशीर्वाद भी दिया।

ग्रामीणों में इस बात को लेकर बेहद खुशी थी कि बैठकर दौड़ने के आदी बन चुके अधिकारी तो दूर छोटे कर्मचारियों ने भी पैदल चलकर यहां आने की कभी कोशिश ही नहीं की थी ।किंतु डीएम नरेंद्र सिंह भंडारी ने अपनी पूरी टीम के साथ उनके बीच आकर वे अपना दुख दर्द भूल गए हैं।डीएम भंडारी एवं उनकी टीम का ग्रामीणों ने अपने दिल की गहराइयों एवं भावनाओं से ऐसा स्वागत किया जिसमें निश्चल प्रेम व आत्मीयता भरी हुई थी।डीएम भंडारी का सीमांत कायल गांव का यह दौरा क्या गुल खिलाएगा यह तो आने वाला समय ही बताएगा किंतु इस इस बात को कतई नजरअंदाज नहीं किया जा सकता कि वे इस गांव से ढेर सारी दुआएं बटोर कर ले गए हैं जो सहसा किसी भाग्यवान व्यक्ति को ही प्राप्त हो सकती है।

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ग्रामीणों का जो सम्मान गांव के आमा बुबु दिया गया ऐसा सम्मान है जो उन्हें सदा कायल गांव के लिए जीवन की जटिलताओं को कम करने के लिए निश्चित ही प्रेरित करता रहेगा।
गांव के बुजुर्गों का कहना था कि उन्होंने जैसे-तैसे‌ कठोर संघर्षों के बीच अपना जीवन बिताया है।उन्हें इस बात की खुशी है कि वह अपनी भावी पीढ़ी के लिए सुविधाएं‌ जुटाकर उनसे यह कह जाएंगे कि अपने पूर्वजों के गांव की इस विरासत को कभी मत छोड़ना। कायल गांव की सोना उगलने वाली धरती विभिन्न विभागों के अधिकारियों को यह गवाही दे रही थी कि यदि गांव को सड़क से जोड़ा गया तो वह सबसे संपन्न ऐसा जैविक गांव होगा जहां सर्वाधिक दूध , वेमौसमी सब्जियों, शहद, मुर्गी, अंडे, मछलियों के अलावा फलो को लोगों को खिलाएगा।

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सुबे के ग्रामीण विकास सचिव डॉ पुरुषोत्तम ने अपने चंपावत जिले के भ्रमण के दौरान इंटीग्रेटेड फार्मिंग पर विशेष जोर दिया था जिसके तहत यह कमजोत वाले किसान अपनी भूमि में सभी कार्यक्रम एक साथ संचालित कर मैं अपनी आय को दोगुना नहीं तीगुना कर सकते हैं। इसी भाव धारा को लेकर कायल चंपावत जिले का पहला गांव बन चुका है जो ना केवल सीमावर्ती क्षेत्र के विकास में नई सोच पैदा करेगा बल्कि पलायन करने वालों की राह भी रुकेगा।

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Deepak Fulera

देवभूमि उत्तराखण्ड में आप विगत 15 वर्षों से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पत्रकार के रूप में कार्यरत हैं। आप अपनी पत्रकारिता में बेबाकी के लिए जाने जाते हैं। सोशल प्लेटफॉर्म में जनमुद्दों पर बेबाक टिपण्णी व सक्रीयता आपकी पहचान है। मिशन पत्रकारिता आपका सर्वदा उद्देश्य रहा है।

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