चिंतनीय: शनिवार को टनकपुर नगर पालिका मतगणना से मीडिया को पूरी तरह रखा गया दूर,आखिर यह किस तरह का लोकतंत्र,अधिकारी मीडिया पर भी चला रहे अपने तुगलकी फरमान

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टनकपुर(उत्तराखंड)- भले ही मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहा जाता हो, लेकिन वर्तमान में मीडिया के अधिकारों का हनन कर लोकतांत्रिक मूल्यों को दरकिनार किया जा रहा है।उत्तराखंड के चंपावत जिले के टनकपुर में भी शनिवार को कुछ यूं ही देखने को मिला, निकाय चुनाव मतगणना को टनकपुर में प्रशासनिक तुगलगी फरमान ऐसा चलाया गया,की मतगणना के कवरेज से मीडिया कर्मियों को पूरी तरह दूर रखा गया।जबकि पूरे प्रदेश में मीडिया कर्मियों द्वारा निकाय चुनाव की मतगणना की कवरेज की गई।लेकिन चंपावत जिले के टनकपुर में डिग्री कॉलेज में बने मतगणना स्थल के अंदर मीडिया कर्मियों को घुसने तक नहीं दिया गया।आखिर ऐसी क्या वजह रही की मीडिया कर्मियों से दूरी बनाए गई।

शनिवार को टनकपुर के राजकीय महाविद्यालय में बनबसा और टनकपुर निकाय की मतगणना के लिए काउंटिंग सेंटर बनाया गया था। जिसमें टनकपुर व बनबसा दोनों नगरों के निकाय की मतगणना शनिवार सुबह आठ बजे से देर शाम तक जारी रहीं। लेकिन इसे विडंबना ही कहा जाएगा कि उन कक्षों में मीडिया कर्मियों को जाने की अनुमति नहीं दी गयीं। इस फरमान के बाद काउंटिंग के दौरान टनकपुर पूरे प्रदेश में मीडिया को बैन करने में पहले पायदान पर माना जा रहा है ।

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आम जन मानस के फोन जानकारी को लेकर मीडिया कर्मियों के पास आते रहें, लेकिन खुद मीडिया कर्मी मतगणना की तात्कालिक जानकारी से महरूम रहें। जिस कारण पत्रकारो में आक्रोश व्याप्त है और उन्होंनें इसका विरोध भी किया। लेकिन सरकारी मशीनरी के कानों में जूँ तक न रेंगी। वहीं मतगणना के लिए बनी मीडिया गैलरी सिर्फ शो पीस ही नजर आयी।

उल्लेखनीय है कि मतगणना को लेकर जहां प्रत्याशियों में अपनी अपनी जीत को लेकर उत्साह था। वहीं प्रशासन के द्वारा मीडिया कर्मियों को मतदान कक्ष के अंदर जाने की अनुमति न दिए जाने से चंपावत के टनकपुर मे पत्रकारों ने नाराजगी व्यक्त की है। जानकारी के मुताबिक शनिवार को टनकपुर के डिग्री कॉलेज में निकाय चुनाव की मतगणना हो रही थी। लेकिन प्रशासनिक आदेश के द्वारा मीडिया कर्मियों को मतदान कक्ष के अंदर जाने की परमिशन नहीं दी गई।

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इस मामले में वरिष्ठ पत्रकारों ने बताया कि डिग्री कॉलेज परिसर में कवरेज के लिये मीडिया गैलरी बनायी गयीं थी। जो महज शोपीस साबित हुई है। मीडिया कर्मियों को कवरेज के लिए मतगणना केंद्र में अनुमति न होनें से जहां मतदाताओ में आक्रोश देखा गया। वहीं इस बात का सभी पत्रकारो नें विरोध किया है। विरोध जताने वालों में बाबूलाल यादव, विनोद पाल, शुभम गौड़, मयंक पंत, आबिद सिद्दीकी, पुष्कर महर आदि पत्रकार शामिल रहे।

मतगणना कक्ष में मीडिया कर्मियों के न होनें से बाहर फैलती रहीं भ्रामक सूचनाये

टनकपुर। मतगणना की सूचना जो पहले पत्रकारों को मिलनी चाहिए थी वह सारी सूचनाएं बाहरी गेट पर खडे समर्थकों को मिल रही थी, जिसमें वास्तविकता के अलावा भ्रामकता भी सामने आयी। बाहर फैली भ्रामक जानकारी से वार्ड नं 05 की एक निर्दलीय प्रत्याशी नीलम पाल जीत का सर्टिफिकेट लेने विजयमाला पहनकर कर मतगणना कक्ष में आ गयीं, लेकिन लगभग एक से डेढ़ घंटे के बाद उन्हें पता चला कि वो अपनी निकटतम प्रतिद्वंदी वर्षा शर्मा से 50 वोटों से हार चुकी है। गलत सूचना से उनके और उनके समर्थक खासे आहत हुए। वहीं वार्ड नं 04 के प्रत्याशी वकील अहमद और दीपक सक्सेना का मामला भी खासी चर्चाओ में रहा, जिसमें रिकाउंटिंग के बाद भी दीपक सक्सेना संतुष्ट नजर नहीं आये, उन्होंनें माननीय न्यायालय की शरण में जाने का ऐलान किया है। फिलहाल समूचे मामले को पत्रकारों के लोकतान्त्रिक अधिकारों का हनन करार दिया जा रहा है। पत्रकारों नें कहा मतगणना के दिन पूरे प्रदेश में सभी मीडिया कर्मी मतदान कक्ष में जानकारी जुटाने के लिए आते जाते रहे आखिर टनकपुर में मीडिया को प्रशासन द्वारा मतदान कक्षों में जाने की अनुमति न दिया जाना उनके लोकतान्त्रिक अधिकारों का हनन है, जिसके लिए पत्रकार संगठन नें बैठक आहूत कर तुगलगी फरमान का विरोध किये जाने का ऐलान किया है।

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Deepak Fulera

देवभूमि उत्तराखण्ड में आप विगत 18 वर्षों से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पत्रकार के रूप में कार्यरत हैं। आप अपनी पत्रकारिता में बेबाकी के लिए जाने जाते हैं। सोशल प्लेटफॉर्म में जनमुद्दों पर बेबाक टिपण्णी व सक्रीयता आपकी पहचान है। मिशन पत्रकारिता आपका सर्वदा उद्देश्य रहा है।

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