मनोज कापड़ी, संवाददाता लोहाघाट
लोहाघाट(चम्पावत)- वैसे तो पहाड़ों के अस्पतालों में पहले तो विशेषज्ञ डॉक्टर मिलते ही नहीं हैं जब कभी मिलते भी है तो उन्हें चिकित्सा उपकरण या अन्य ऐसी जरूरी सामग्री अस्पतालों में नहीं मिल पाती है। जिससे वे रोगियों की बेहतर सेवा कर सकें। लोहाघाट के उप जिला चिकित्सालय को मुद्दतों बाद एक उत्साही सर्जन डॉक्टर कुलदीप खड़ायत मिले जो यहां कुछ नया करने के इरादे से आए थे। लगभग एक वर्ष के कार्यकाल में उन्होंने अपने कार्य व्यवहार से लोगों में अपनी विशिष्ट पहचान बनाई लेकिन उन्हें इस अवधि में चिकित्सालय की ओर से कोई भी चिकित्सा उपकरण, ओटी स्टाफ आदि नही मिले जिससे वे वगैर वेतन के अवकाश पर चले गये।
डॉ कुलदीप का कहना है कि ऐसे माहौल में तो वे सर्जरी की पढ़ाई भी भूल जाएंगे। वे इस इरादे से आये हुये थे कि यहाँ रहते हुये कुछ काम करू लेकिन उन्हें यहां दूर तक चिकित्सालय मे ऐसा माहौल नही मिला जो एक सर्जन के लिए कम से कम जरूरी होता हैं। ठीक यही स्थिति यहां आए अस्थि रोग विशेषज्ञ की है। जो यहां चिकित्सा सामाग्री व उपकरण न होने पर अवकाश पर चले गए हैं। सीएमएस डॉ जुनैद कमर के अनुसार विशेषज्ञ डॉक्टरों की मांग के अनुसार सभी चिकित्सा उपकरणों की डिमांड सीएमओ के सम्मुख पहले ही की जा चुकी है। लेकिन अभी तक चिकित्सालय को सामान नहीं मिला है। वास्तव में दोनों डॉक्टरों के अवकाश में जाने से रोगियों को बहुत कठिनाइयां हो रही है।
उपजिला चिकित्सालय से विशेषज्ञ समेत आधा दर्जन डॉक्टरों को अन्य अस्पतालों में लोगों की आवश्यकता के अनुसार नहीं बल्कि डॉक्टरों की सुविधा के मुताबिक संबद्ध किया गया है। एक ओर शासन द्वारा डॉक्टर व अन्य कर्मचारियों का संवद्धदीकरण समाप्त करने के लिए 28 मई 2022 को आदेश जारी किए गए हैं। लेकिन चंपावत के सीएमओ के लिए यह आदेश कोई मायने नहीं रखते हैं। किसी कर्मचारी के संबंद्ध करण के मायने जनता द्वारा यह लगाए जाते हैं कि उसे बिना काम के वेतन मिलता रहे। संबद्धिकरण जनहित में नहीं उस व्यक्ति के हित में किया जाता है। ग्रामीण क्षेत्रों की स्वास्थ्य व्यवस्था का पूरा दारोमदार फार्मेसिस्ट के हाथों में है। सीएमओ स्तर से सुई- चनकाडै, रैघाव, चमदैवल के फार्मसिस्टौ को लोहाघाट में संबद्ध किया गया है। यही नहीं यहां दो अन्य संविदा फार्मेसिस्ट भी संबंद्ध है। जबकि यहां पहले से दो फार्मेसिस्ट कार्यरत हैं। इस प्रकार यहां दो के स्थान पर सात फार्मेसिस्ट कार्य कर रहे हैं।
स्थानीय लोगों का कहना है कि सीएमओ का डाक्टरों व अन्य कर्मियों पर कोई प्रशासनिक नियंत्रण न होने से वे दबाव में अधिक कार्य करते हैं। जिससे जिले की चिकित्सा व स्वास्थ्य व्यवस्था पर प्रति माह वेतन पर करोड़ों रुपया खर्च होने के बावजूद लोगों को चिकित्सा सुविधाओं का लाभ नहीं मिल रहा है। अब लोगों ने इस मुद्दे को सीएम के सामने रखने का निर्णय लिया है।